संदर्भ पुस्तकालय

वृन्दावन  शोध संस्थान क्री स्थापना स्व. डॉ. रामदास गुप्त के द्वारा सन् 1968 में क्री गई थी । संयोगवश यह विहार पंचमी का अवसर था । स्पष्ट है कि शोध के लिए संदर्भ ग्रन्धों की अति आवशयकता होती है । शोधकर्ताओं एवं छात्रों के लिये अनुसंधान संस्थान में संदर्भ पुस्तकालय भी है जहाँ विभिन्न विषयों पर प्रकाशित पुस्तकें, शब्दकोष, शोध प्रबन्ध एवं लेख, पत्रिकायें इत्यादि उपलब्ध हैं। शोध कार्य हेतु देश-विदेश के शोधकर्ता संदर्भ पुस्तकालय से संपर्क करते हैं । सर्वप्रथम यहाँ अनुदान में आये हुए ग्रन्थ ही एकत्रित किये गये क्योंकि उस समय सरकारी अनुदान आर्थिक अनुदान अल्प था । धीरे-धीरे कुछ हजार एक पुस्तके एकत्रित हुई।  धीरे धीरे संस्थान के सरकारी अनुदान आर्थिक अनुदान की राशि तथा बजट भी बढा वार्षिक बजट में संदर्भ ग्रन्धों के क्रय के लिए भी राशि निर्धारित की गई। अनुदान के अनुपात में संदर्भ म्रन्धों के क्रय का बजट भी बढा और क्रमश: पुस्तकों की संख्या बढने लगी तथा शोध के विषयों के संदर्भ के अनुसार संदर्भ ग्रन्धों की संख्या बढ़ने लगी जो क्रय से आते हैं । इस पर समय-समय यर बैठक भी होती है एवं विषयों का निर्धारण भी होता है । वर्तमान में हमारे संदर्भ पुस्तकालय में लगभग 15 हजार ग्रन्थ उपलब्ध हैं जो गुजराती, बंगाली संस्कृत, हिन्दी , उर्दू तथा मराठी अदि भाषाओं में है । इसके अतिरिक्त संदर्भ ग्रन्थ कुछ अन्य विद्वानों के अनुदान के द्वारा भी आये हैं जैसे- हमारी संस्था के पूर्व निदेशक नरेश चंद्र बंसल के मरर्णगांरान्त उनकी धर्मपत्नी श्रीमती उमां बंसल ने लगभग 1500 संदर्भ ग्रन्थ दिये जिनमें 500 पत्रिकाएं भी हैं । पत्रिकाओं की संख्या हमारे यहाँ लगभग 1500 हो गई है इसके अलावा 2010 से पहले हमारे यहाँ नियमित रूप से शोधार्थी अपने निर्धारित विषयों पर शोध करते थे । ऐसे विद्यार्थियों के शोध प्रबंध भी हमारे यहाँ उपलब्ध है जिनकी संख्या 129 है । वाचनालय हेतु यहाँ 5 समाचार पत्र ( अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, टाइम्स आँफ इंडिया,हिंदुस्तान टाइम्स ) भी आते हैं । हमारे संदर्भ पुस्तकालय में वैष्णव साहित्य एवं सांस्कृतिक साहित्य क्री प्रचुर संख्या है । इस प्रकार से हमारा संदर्भ पुस्तकालय संपन्न है ।
हमारा लक्ष्य है कि यहाँ निरन्तर शोध हेतु विश्वविद्यालयों से अने वाले शोधार्थियों को हम पर्याप्त संदर्भ पुस्तकें प्रस्तुत कर सकें जिसके द्वारा वृन्दावन शोध संस्थान का जो उददेश्य है वह पूरा हो ।

 

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सूचीपत्र 1

सूचीपत्र 2